Thursday, June 2, 2016

वहम हैं तेरा मुझे वापिस पाने का...















तेरे इश्क़ में क्या से क्या हो गया
पहले जो आशिक़ था अब इन्सां हो गया
हद से हद कर दी मुझे बदनाम करने की
वजह ना छोड़ी अब मेरे साँस लेने की
अब तो खुश होगी किसी ओर की बाहो में
फिर ना बदनाम करना किसी को गाड़ी बंगलो की चाहत में

तेरे इश्क़ में क्या से क्या हो गया
पहले जो आशिक़ था अब इन्सां हो गया
हम तो सह गये… तुझे खुदा समझकर ठहर गये
यू तो रूह से नहीं इश्क़ जिस्म से होता हैं
इस जहाँ में इश्क़ अब हर किस्म से होता हैं
ना पलटना फिर से तू मुझे बदनाम कर देगी
तेरी आहत फिर से इश्क़ का कत्लेआम कर देगी

तेरे इश्क़ में क्या से क्या हो गया
पहले जो आशिक़ था अब इन्सां हो गया
तुझे भूल चुका हूँ अब हर वजह में
तेरी यादों को समेटकर फेंक आया  हूँ गुमनाम अंधेरो में
तू भी याद ना करना मुझे तन्हाइयों में
कुछ हासिल ना होगा… सिर्फ़ तेरा ही अहम होगा
अब मुझे पाने की ज़िद.. सिर्फ़ तेरा वहम होगा
तेरे इश्क़ में क्या से क्या हो गया
पहले जो आशिक़ था अब इन्सां हो गया